बेपरवाह, बेठिकाना , आवारा
हवा में उड़ रहा है
एक बेपता लिफ़ाफ़ा।
यूँ तो खुद का पता नहीं
पर सारी गलियां सारे मोहल्ले
सारे शहर इसीके हैं।
होने को ये सबका है
जो न हो, तो किसी का नहीं
किसी पते की जरुरत क्या है
बे-पतों का तो पूरा आसमां है
क्यों बाँध दें शख्सियत इसकी
दो चार लाइनों के दायरे में
इस पल ये मैं हूँ
तू हो जाएगा अगले पल में
हवा के साथ उड़ता रहे दर-बदर
क्यूंकि बहते रहना ही
असल मायनों में ज़िन्दगी है।
हवा में उड़ रहा है
एक बेपता लिफ़ाफ़ा।
यूँ तो खुद का पता नहीं
पर सारी गलियां सारे मोहल्ले
सारे शहर इसीके हैं।
होने को ये सबका है
जो न हो, तो किसी का नहीं
किसी पते की जरुरत क्या है
बे-पतों का तो पूरा आसमां है
क्यों बाँध दें शख्सियत इसकी
दो चार लाइनों के दायरे में
इस पल ये मैं हूँ
तू हो जाएगा अगले पल में
हवा के साथ उड़ता रहे दर-बदर
क्यूंकि बहते रहना ही
असल मायनों में ज़िन्दगी है।
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