मेरी ज़ुबान
भटक जाता हूँ हर मोड़ पर, अजनबी सी हैं ये गलियाँ l इक तो लीक नयी मेरी, उसपर अन्जान शहर तेरा l
Wednesday, December 21, 2016
मसीहा
निगाहों से इल्म की चाह में
हर मोड़ पर मक़तब बदल गए ,
हर मसीहा में खुदा देखने की आदत
कभी बदले रब कभी मज़हब बदल गए
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