तुम, मैं, हम- सब
सेमल के बीज से हैं
पैदा हुए रेशमी ख्यालों के साथ
ख्वाबों के परों में हवा लिए
उड़ने को बेताब थे मानो कितने अरसे से
की अब छूटे तो हाथ न आएंगे
निकले तो यूँ की दुनिया नाप लेंगे
देखेंगे ये जमीं रख के पैरों तले
मगर न जाने कहा से एक सोच उभर आयी
कि, आखिर बीज हैं हम !
कहीं जमना है उगना है पेड़ होना है
उड़ना ही लक्ष्य नहीं, कहीं रुकना भी है
सृष्टि का चक्र गतिमान रखना है
जीवन दायित्व का वहन करना है
पर क्यूँ ??
जब उड़ सकते हैं सतरंगी फलक पे
इस क्षितिज से उस क्षितिज तक
तो क्यूँ रुके?? क्यूँ उगें?? क्यूँ जमें ??
क्यूँ न घूमें बेफिक्र हवा के साथ ??
क्यूँ न नापते फिरें धरा के सिरे ??
छोड़ क्यूँ न दे सारी परवाहों को
और ढील दें खुद को नियति की बाहों में
कि जब तक आज़ाद हैं आज़ाद रहते हैं
सेमल के बीज से कपासी ख्वाब लिए।
सेमल के बीज से हैं
पैदा हुए रेशमी ख्यालों के साथ
ख्वाबों के परों में हवा लिए
उड़ने को बेताब थे मानो कितने अरसे से
की अब छूटे तो हाथ न आएंगे
निकले तो यूँ की दुनिया नाप लेंगे
देखेंगे ये जमीं रख के पैरों तले
मगर न जाने कहा से एक सोच उभर आयी
कि, आखिर बीज हैं हम !
कहीं जमना है उगना है पेड़ होना है
उड़ना ही लक्ष्य नहीं, कहीं रुकना भी है
सृष्टि का चक्र गतिमान रखना है
जीवन दायित्व का वहन करना है
पर क्यूँ ??
जब उड़ सकते हैं सतरंगी फलक पे
इस क्षितिज से उस क्षितिज तक
तो क्यूँ रुके?? क्यूँ उगें?? क्यूँ जमें ??
क्यूँ न घूमें बेफिक्र हवा के साथ ??
क्यूँ न नापते फिरें धरा के सिरे ??
छोड़ क्यूँ न दे सारी परवाहों को
और ढील दें खुद को नियति की बाहों में
कि जब तक आज़ाद हैं आज़ाद रहते हैं
सेमल के बीज से कपासी ख्वाब लिए।
Superb creation with full imagination
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