मेरी ज़ुबान
भटक जाता हूँ हर मोड़ पर, अजनबी सी हैं ये गलियाँ l इक तो लीक नयी मेरी, उसपर अन्जान शहर तेरा l
Friday, March 2, 2012
बिन कहे
लफ्ज़ नाकाफी हैं कहने को
न मैं कुछ कहता हूँ
न तुम कुछ कहते हो
फिर भी क्या बात है देखो
तुम भी समझ गए
हम भी समझ गए
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