मेरी ज़ुबान
भटक जाता हूँ हर मोड़ पर, अजनबी सी हैं ये गलियाँ l इक तो लीक नयी मेरी, उसपर अन्जान शहर तेरा l
Sunday, November 4, 2012
स्वप्न मुझको बोने दो
अभी सपने में हूँ मुझे सोने दो
अधूरे से मेरे सपने को पूरा होने दो
जागूँगा फिर मैं इक नए स्वप्न में
अभी स्वप्न मुझको बोने दो !!
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment