इक दिन अपने ही अक्स से
आईने के उस शख्स से
सवाल किया जो मैंने
जवाब मिला बस मौन ....
मैं कौन ?....मैं कौन ?.. मैं कौन ?...
अधूरे ख्वाबों के इक कोने में
मेरे हर इक होने - ना होने में
हर पल-छिन कुछ पाने कुछ खोने में
सवाल वही ,जवाब फिर मौन .....
मैं कौन ?....मैं कौन ?.. मैं कौन ?...
अँधेरी उन्जयारी राहों में
धूप छाव की बाहों में
थकते दुखते पाँव के छालो में
सवाल वही ,जवाब फिर मौन .....
मैं कौन ?....मैं कौन ?.. मैं कौन ?...
रगों में उबलते खून में
सीने में उठते जूनून में
पल-पल बदलती धड़कन की ताल में ,
सवाल वही ,जवाब फिर मौन .....
मैं कौन ?....मैं कौन ?.. मैं कौन ?...
अंतर्मन की परतों में
अँधेरी इन गर्तों में
खुरच-खुरच निकले उजालों में
सवाल वही ,जवाब फिर मौन .....
मैं कौन ?....मैं कौन ?.. मैं कौन ?...
आईने के उस शख्स से
सवाल किया जो मैंने
जवाब मिला बस मौन ....
मैं कौन ?....मैं कौन ?.. मैं कौन ?...
अधूरे ख्वाबों के इक कोने में
मेरे हर इक होने - ना होने में
हर पल-छिन कुछ पाने कुछ खोने में
सवाल वही ,जवाब फिर मौन .....
मैं कौन ?....मैं कौन ?.. मैं कौन ?...
अँधेरी उन्जयारी राहों में
धूप छाव की बाहों में
थकते दुखते पाँव के छालो में
सवाल वही ,जवाब फिर मौन .....
मैं कौन ?....मैं कौन ?.. मैं कौन ?...
रगों में उबलते खून में
सीने में उठते जूनून में
पल-पल बदलती धड़कन की ताल में ,
सवाल वही ,जवाब फिर मौन .....
मैं कौन ?....मैं कौन ?.. मैं कौन ?...
अंतर्मन की परतों में
अँधेरी इन गर्तों में
खुरच-खुरच निकले उजालों में
सवाल वही ,जवाब फिर मौन .....
मैं कौन ?....मैं कौन ?.. मैं कौन ?...
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