मेरी ज़ुबान
भटक जाता हूँ हर मोड़ पर, अजनबी सी हैं ये गलियाँ l इक तो लीक नयी मेरी, उसपर अन्जान शहर तेरा l
Wednesday, September 11, 2013
तो फिर बात क्या है
क्या मैं कहूँ की जमाने के हालात क्या हैं
इन्सां हूँ मैं, मुझसे पूछो मेरे जज़्बात क्या हैं
मिले कोई मुझसे न देखे मेरा मज़हब, जात क्या है
हो सके ग़र ये तो फिर बात क्या है। ….
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