जंजीरो से बाँध बाँध कर क्यों गला घोंट रहा अपना ??
अब भी वक्त है , नब्ज़ पकड़
देख हो सके ज़िंदा हो वो सपना,
इतना तो याद है काफी दूर तक साथ आया था
बचपन की गलियों में तुझे हँसता देख
वो भी मुस्काया था
तब भी वो डरा सहमा रहा खड़ा
जब तूने दो दूनी चार समझाया था
पर फिर तू दुनिया के बाजार की तरफ मुड़ गया
खुद को बेंच ख़ुशी खरीदना चाहते थे
खरीद फरोख्त के चक्कर में
उसको कैसे कैसे डर सताते थे
तुम्हे भी कहां परवाह थी
तुम तो खरीददार ढून्ढ रहे थे
अपनी ज़िन्दगी के
पुकारा भी था उस सपने ने तुम्हे
मगर आवाज़ दबा दी
भविष्य के जहरीले सांप दिखा के
अंदर ही अंदर तुम भी चाहते थे उसे
शायद उतना ही
मगर अपनाने से कतराते रहे
आज़माते रहे दूसरा और सब कुछ
डरते थे शायद या डरते हो आज भी
मगर किस्से ?? मगर क्यूँ ??
इन बाज़ार वालों से?? या, अपनों की आँखों से ??
खैर, तुमने ये सब सोंचा कहा??
सब बिक गया अब शायद कुछ बचा नही
या जो बचा है वो किसी काम का नहीं
जब सब दिए बुझ गए तब तू सोंचता है
कि जंजीरो में बांध - बाँध क्यों घोटा गाला अपना
पर अब शायद देर हो गयी
मर गया बेचारा सपना।
अब भी वक्त है , नब्ज़ पकड़
देख हो सके ज़िंदा हो वो सपना,
इतना तो याद है काफी दूर तक साथ आया था
बचपन की गलियों में तुझे हँसता देख
वो भी मुस्काया था
तब भी वो डरा सहमा रहा खड़ा
जब तूने दो दूनी चार समझाया था
पर फिर तू दुनिया के बाजार की तरफ मुड़ गया
खुद को बेंच ख़ुशी खरीदना चाहते थे
खरीद फरोख्त के चक्कर में
उसको कैसे कैसे डर सताते थे
तुम्हे भी कहां परवाह थी
तुम तो खरीददार ढून्ढ रहे थे
अपनी ज़िन्दगी के
पुकारा भी था उस सपने ने तुम्हे
मगर आवाज़ दबा दी
भविष्य के जहरीले सांप दिखा के
अंदर ही अंदर तुम भी चाहते थे उसे
शायद उतना ही
मगर अपनाने से कतराते रहे
आज़माते रहे दूसरा और सब कुछ
डरते थे शायद या डरते हो आज भी
मगर किस्से ?? मगर क्यूँ ??
इन बाज़ार वालों से?? या, अपनों की आँखों से ??
खैर, तुमने ये सब सोंचा कहा??
सब बिक गया अब शायद कुछ बचा नही
या जो बचा है वो किसी काम का नहीं
जब सब दिए बुझ गए तब तू सोंचता है
कि जंजीरो में बांध - बाँध क्यों घोटा गाला अपना
पर अब शायद देर हो गयी
मर गया बेचारा सपना।
Awesome brooo 👍🏻👍🏻👍🏻
ReplyDeletethank you.
Deletesuperb....
Deletethank you !
DeleteDream that never come true
ReplyDeleteBut why?