मेरी ज़ुबान
भटक जाता हूँ हर मोड़ पर, अजनबी सी हैं ये गलियाँ l इक तो लीक नयी मेरी, उसपर अन्जान शहर तेरा l
Wednesday, July 27, 2011
faasle
कभी तनहा थे तुम , कभी हम भी थे तनहा
फासले भी थे , मोहब्बत भी थी मगर
पास ही हो तुम और करीब हैं हम
पर तनहाइयों को तलाशती है नजर .......
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