मेरी ज़ुबान
भटक जाता हूँ हर मोड़ पर, अजनबी सी हैं ये गलियाँ l इक तो लीक नयी मेरी, उसपर अन्जान शहर तेरा l
Monday, September 3, 2012
मेरी यादों में कहीं
जितनी ज्यादा कोशिश करता हूँ
तुझे भूल जाने की
गुंजाईश बढती जाती है
तेरे याद आने की
गर मैं नहीं जोर देता हूँ
जेहन को ढीला छोड़ देता हूँ
फिर भी तू रहती है वहीँ
मेरी यादों में कहीं ...........
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