मेरी ज़ुबान
भटक जाता हूँ हर मोड़ पर, अजनबी सी हैं ये गलियाँ l इक तो लीक नयी मेरी, उसपर अन्जान शहर तेरा l
Tuesday, February 5, 2013
ज़ज्बा
हर कदम पर होगी आजमाइश मेरी
पर धार मे बह जाना मेरा मुकद्दर नही,
मुमकिन है लहरें डुबा दे मुझको
मगर जज्बे को मेरे डूबा दे वो समंदर नहीं .
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