मैं हर रोज पैदा होता हूँ
मैं हर रोज मारा जाता हूँ
कभी सीने से लगाया जाता हूँ
कभी टुकड़े टुकड़े फाड़ा जाता हूँ
कुछ कुछ मैं बनता जाता हूँ
कुछ कुछ मैं मिटता जाता हूँ
सुबह को धूप हूँ तो
रात को अँधेरा बन जाता हूँ
छोटी सी ज़िन्दगी मेरी
छोटा सा मेरा सफ़र
मानो मैं हूँ कोई. …… अख़बार की खबर !
मैं हर रोज मारा जाता हूँ
कभी सीने से लगाया जाता हूँ
कभी टुकड़े टुकड़े फाड़ा जाता हूँ
कुछ कुछ मैं बनता जाता हूँ
कुछ कुछ मैं मिटता जाता हूँ
सुबह को धूप हूँ तो
रात को अँधेरा बन जाता हूँ
छोटी सी ज़िन्दगी मेरी
छोटा सा मेरा सफ़र
मानो मैं हूँ कोई. …… अख़बार की खबर !
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