मेरी ज़ुबान
भटक जाता हूँ हर मोड़ पर, अजनबी सी हैं ये गलियाँ l इक तो लीक नयी मेरी, उसपर अन्जान शहर तेरा l
Wednesday, July 31, 2013
मुकम्मल की तलाश थी
हाथ कुछ भी न आया है
आफताब की आरज़ू में
चिराग भी गवाया है
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