मुड़ के देखो तो लगता है
सब ठीक ठाक था
ऐसा नही है की मुकम्मल था
पर सब ठीक ठाक था
संघर्षों के निशान यादों से
धीरे धीरे मिट जाते हैं
उजालों में ये साये भला फिर
कहाँ टिक पाते हैं
ज़िन्दगी के वो तीखे कोने
वक़्त के साथ घिस से जाते हैं
और फिर मुड़ के देखो तो लगता है
सब ठीक ठाक था
मानो सब कितना आसान था
यही कहानी आज है
यही कहानी कल होगी
जो आज कठिन लग रही है
कल वो ज़िन्दगी नहीं मुश्किल होगी।
Nice thoughts shobhit..
ReplyDeletethank you :)
ReplyDeleteOut of reach
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