रहो जो बेक़रार मेरे बिन
मुझे दिल का करार लिखना
रहे राहों पे निगाहें जब तलक
आँखों का इंतज़ार लिखना
भूल जाओ जो काम काज मेरी याद में
दिल-ओ-दिमाग का इतवार लिखना
बेनींद गुजरी हैं जो राते ख्वाबो में
निगाहों का वही मौसम दुश्वार लिखना
मिलूंगा न जब इस ज़माने में
अपने दिल पे जाना मेरा इश्तेहार लिखना
मुझे दिल का करार लिखना
रहे राहों पे निगाहें जब तलक
आँखों का इंतज़ार लिखना
भूल जाओ जो काम काज मेरी याद में
दिल-ओ-दिमाग का इतवार लिखना
बेनींद गुजरी हैं जो राते ख्वाबो में
निगाहों का वही मौसम दुश्वार लिखना
मिलूंगा न जब इस ज़माने में
अपने दिल पे जाना मेरा इश्तेहार लिखना
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