दो लोग एक हो भी जाएँ बेशक
फिर भी दो रहना ज़रूरी है
जो नज़दीकियों की हद है
वो ये दूरी है
चिराग अलग अलग हो सबके
बस घर में रौशनी एक रहे
आँधियों का क्या भरोसा
दिया एक ही हो ऐसी भी क्या मज़बूरी है
फिर भी दो रहना ज़रूरी है
जो नज़दीकियों की हद है
वो ये दूरी है
चिराग अलग अलग हो सबके
बस घर में रौशनी एक रहे
आँधियों का क्या भरोसा
दिया एक ही हो ऐसी भी क्या मज़बूरी है
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