मेरी ज़ुबान
भटक जाता हूँ हर मोड़ पर, अजनबी सी हैं ये गलियाँ l इक तो लीक नयी मेरी, उसपर अन्जान शहर तेरा l
Wednesday, September 21, 2016
दरिया का दरिया
एक घूँट में पी गए
जो ज़िन्दगी एक कहानी
समझ के जी गए
एक लंबा सा
रास्ता ही तो है
काफ़िर भी गए
रामनामी भी गए
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