उमड़ पड़े कितने रंग अम्बर पे
मन पे छाई उमंगें कैसी कैसी
छा रहा एक खुमार दिल-ओ-दिमाग पर
आसमा पे बनने लगी तस्वीरे
सभी के चेहरों जैसी
आसमान को छूती हमारी खुशियाँ
जमीं पर चलते चलते
क़दमों को आसमां पे ले जाती है
हिरनों सा कुलाचे भर मन
पूरा वन घूम आता है
दिल के कोने में पड़ा एक सपना
इस नए एहसास से मुस्काता है
........ ये बरखा का मौसम है.....
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