मेरी ज़ुबान
भटक जाता हूँ हर मोड़ पर, अजनबी सी हैं ये गलियाँ l इक तो लीक नयी मेरी, उसपर अन्जान शहर तेरा l
Monday, September 19, 2011
गर मजा आता है छोड़ कर जाने में तुम्हें
मेरी यादों को तनहा छोड़ जाओ तुम
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