क्या करना है क्या होना है
किसको क्या पता है यहाँ
अपनी तो जिन्दगी जा रही है
ये राहे ले जाए जहाँ ....
हिस्से हिस्से में बँट रहे ख्वाबो को
जोड़कर इक तस्वीर बनाता हूँ
फिर टुकड़े टुकड़े कर उसके
यूँ ही मुस्कुराता हूँ
शायद ख्वाबो का यही होना है
हर पल बस नए सपने संजोना है
हर कोई यहाँ खिलौना है
न कुछ पाना है ना कुछ खोना है
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