Sunday, November 4, 2012

स्वप्न मुझको बोने दो

अभी सपने में हूँ मुझे सोने दो 
अधूरे से मेरे सपने को पूरा होने दो 
जागूँगा फिर मैं इक नए स्वप्न में 
अभी स्वप्न मुझको बोने दो !!

स्वप्न और हकीकत

सपनों से भरी सपनीली दुनिया में
सपने ही मैं देखा करता हूँ ,
सपनों में यूँ गुम हो जाता हूँ
खुद से ही बातें करता हूँ

बिखरे -बिखरे  भूले -बिसरे
ख्वाबों को यूं मैं बिनता हूँ
इन ख्वाबों  के किसी एक कोने में
हाँ इस पल मैं जिंदा हूँ

जोड़ सके जो सपनो को हकीकत से
ऐसी कोई डोर है क्या ,
ख्वाबों की अछोह गहरायी में
हकीकत  के धागे खोजा करता हूँ


सपनों से भरी सपनीली दुनिया में
सपने ही मैं देखा करता हूँ ,
सपनों में यूँ गुम हो जाता हूँ
खुद से ही बातें करता हूँ


इन अधपके अधूरे  ख्वाबों को
अपनी असलियत कैसे बनाऊं
थोडा और जगना है इस स्वप्न में
तो आओ फिर सो जाऊं
तो आओ फिर सो जाऊं .....