Tuesday, June 7, 2022

होलिका दहन

 पथरीले रास्ते

लंगड़ी टांग

विकास का नाच

चलता रहे।

झोपड़ियां जलें

रोटियां सिकें

लोकतंत्र का पेट

भरता रहे ,

तलवारें चलें

वहशत उगे

सियासत का चमन 

खिलता रहे ,

लोक की लकड़ी

तंत्र की आग

होलिका दहन

चलता रहे 

कानों में घुला ज़हर

 कानों में घुला ज़हर

यूं दिल में उतर जायेगा

कतरा कतरा हौले हौले

इख्तिलाक मर ही जायेगा 


ना हमे तुमपे यकीं

ना तुम्हें हमपे भरोसा

हो कोई भी वाकया

सवाल नीयत पे आएगा


कौन करे तरक्की, अमन

खुशहाली की बातें

कोशिशें करते ही जिक्र

हिफाज़त का आएगा


धोखे दिए तुमने हमें

लूटा कैसे हमने तुम्हें

गले मिलने से पहले, दौर 

तोहमतों का आएगा


रोजी की खातिर

बोलता है झूठ जो

डाली है फूट, खुद 

उसका शिकार हो जायेगा 


कानों में घुला ज़हर

यूं दिल में उतर जायेगा

कतरा कतरा हौले हौले

इख्तिलाक मर ही जायेगा