लहज़े से जब बदगुमानी झलकती है
कहो कैसे न सवाल रखूं
मासूमों को जो चीरती हैं
उन शमशीरों से मोहब्बत किस हाल रखूं
कहो कैसे न सवाल रखूं
मासूमों को जो चीरती हैं
उन शमशीरों से मोहब्बत किस हाल रखूं
भटक जाता हूँ हर मोड़ पर, अजनबी सी हैं ये गलियाँ l इक तो लीक नयी मेरी, उसपर अन्जान शहर तेरा l