Tuesday, June 7, 2022

होलिका दहन

 पथरीले रास्ते

लंगड़ी टांग

विकास का नाच

चलता रहे।

झोपड़ियां जलें

रोटियां सिकें

लोकतंत्र का पेट

भरता रहे ,

तलवारें चलें

वहशत उगे

सियासत का चमन 

खिलता रहे ,

लोक की लकड़ी

तंत्र की आग

होलिका दहन

चलता रहे 

No comments:

Post a Comment