Wednesday, March 26, 2025

बाकी है

 तुम चले गए, तो चले गए 

अब ग़म भी कितना करिए 

तस्वीर हटा दी है मैंने 

दीवार पे निशाँ बाकी है l


मेरा माज़ी मेरे आज को 

गढ़ता रहा है कतरा-कतरा 

मेरे आज में तुम गायब हो 

मुझमें तुम्हारे रेशे बाकी हैं l


मेरा आधा वजूद छीन 

ले गया है तू मुझसे,

बचपन गुम हो गया

बस आधी जवानी बाकी है।


वो सारे कदम साथ के

वो साझा मंजिलें अपनी

लापता सा खड़ा हूं मैं

गीली रेत पे निशां बाकी हैं।


तुम्हें मैंने खोया है या गंवाया है?

किसी ने तुमको ढूंढा है या पाया है?

तुम जरूरी थी मुझे

या हो जरूरत अब किसी की?

जवाब मौन मेरे सारे 

सवाल बाकी हैं।

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