Monday, September 19, 2011

कुछ नहीं

क्या करना है  क्या होना है 
किसको क्या पता है यहाँ 
अपनी तो  जिन्दगी जा रही है 
ये राहे ले जाए जहाँ ....

हिस्से हिस्से में बँट  रहे ख्वाबो को 
जोड़कर इक तस्वीर बनाता हूँ  
फिर टुकड़े टुकड़े कर उसके 
यूँ ही मुस्कुराता हूँ  

शायद ख्वाबो का यही होना है
हर पल बस नए सपने संजोना है
हर कोई यहाँ खिलौना है 
न कुछ पाना है ना कुछ खोना है 


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