Friday, March 8, 2013

अधूरे ख्वाब

जो कुछ अधूरे ख्वाब हैं मेरे
वो ही तो मेरे मीत हैं ,
मन का उत्साह वही हैं
वही जीवन का गीत हैं .

जो ख्वाब अधूरे मेरे,
मुझको समझाते हैं
आगे और रास्ता है बाकी
चलो और कुछ दूर तक जाते हैं

जो कुछ अधूरे ख्वाब हैं मेरे
मुझको यूँ आबाद करते हैं
मेरी निगाहों के दायरे से
मुझे आज़ाद करते हैं

जो कुछ अधूरे ख्वाब हैं मेरे
साथ मेरे चलते जाते हैं
देकर इक टीस सी मन में
अधूरे होने का एहसास दिलाते हैं

जो कुछ अधूरे ख्वाब हैं मेरे
कहते हैं रुकना नहीं है तुझे
की अभी हम पूरे नहीं हुए
यही ख्वाब मुझे पूरा करते हैं
क्या हुआ जो ये खुद अधूरे हुए .

ऐ खुदा कुछ ख्वाब
अधूरे ही रहने दो
पूरे जो हुए तो ये मर जायेंगे
मेरी आँखों को तनहा कर जायेंगे .

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