Sunday, September 15, 2013

योद्धा

कठोर कठिन दुर्गम पथ है
माना की जर्जर मेरा रथ है
झुका नहीं हूँ मैं अभी भी, यद्यपि
शरीर स्वेद-रक्त  से लथपथ है

जीवन रण के इस परम सत्य को
हाँ मैंने स्वीकारा है
शक्ति नहीं सामर्थ्य बल पर
रिपुदल को ललकारा है

अस्तित्व के इस यथार्थ युद्ध का
दृढ़ निश्चय ही प्राण तत्व है
कर्म पूर्ति की विषम राह पर
वीरगति ही अमरत्व है।

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