Wednesday, July 5, 2017

बातें तेरे बारे में

हंस के मिलता हूँ जुलता हूँ
महफ़िलों में घुलता हूँ
हर किसी से करता हूँ
बातें तेरे बारे में,

चलता हूँ तो जैसे उड़ता हूँ
यूँ ही बेवजह सा फिरता हूँ
आजकल हर शय से सुनता हूँ
बातें तेरे बारे में,

बेवक़्त कागज़ों पे बिखरता हूँ
हर्फ़ हर्फ़ क़रीने  से संवरता हूँ
मीर की ग़ज़लों सी कहता हूँ
बातें तेरे बारे में,

खुद में तुमसा ही रहता हूँ
एक धार में दो नदी सा बहता हूँ
दोनों में फर्क नहीं, पर समझता हूँ
सब हैं, बातें तेरे बारे में,

ये रास्ते सारे ख्वाब के
और सपनों की गलियां सभी
तुम्हारी ओर मुड़ी हैं
घर बार दुनिया जहान की बाते सभी
यूँ तो तुमसे नहीं
पर तुमसे ही जुडी हैं। 

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